किसी को किसी की आदतें नहीं बिगाड़नी चाहिए । लोग तयशुदा वक्त पर किसी का ख्याल रखते हैं , मैसेज करते हैं , फोन करते हैं , एक मिसकाल देते हैं , खाना खाया , नहीं खाया , क्या कर रहे हो , शाम को क्या करोगे , आज का दिन कैसा गया , वीडियो call करें क्या , सूरत तो दिखा दो , नाराज़गियाँ , तमाम रूठना मनाना , प्यार मोहब्बत , अपना ख्याल रखना , मैं हमेशा साथ हूँ , वगैरह वगैरह ...... जब किसी वक्त फिर ये नहीं मिलता या लोग किसी को ये सब ट्रीटमेंट नहीं देते तो कलेजा मुँह को आ जाता है क्योंकि आपने किसी की और किसी ने आपकी आदतें बिगाड़ी होती हैं । वो कोई भी हो सकता है , माँ - पिता , भाई बहन , यार - दोस्त , प्रेमी - प्रेमिका , पति - पत्नी कोई भी । किसी की आदतें नहीं बिगाड़नी चाहिए क्योंकि इन सबके अभाव में सब कुछ बिखरा बिखरा लगता है । रिश्तों के दरकने की ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिए क्योंकि उसके बाद एक इंसान हमेशा के लिए अकेला रह जाता है और जाने वाले को एक रेशा फर्क नहीं पड़ता । रिश्ते बिगड़ने पर इंसान भी अलग तरह से बिगड़ जाता है । कंफर्ट जोन में रहकर लोग एक दूसरे के साथ खेलते रहते हैं । जब मर्जी हुई...